भूकंप रोधी मकान कैसे बनाए | भूकंप रोधी मकान कैसे बनते है। भूकंप रोधी मकान कैसे बनता है। भूकंप रोधी मकान। भूकंप रोधी इमारतें। क्या इमारतें भूकंपरोधी हो सकती हैं।
भूकंप एक विनाशकारी और अप्रत्याशित शक्ति है जिससे मकान , इमारतें को तबाह ध्वस्त कर सकती हैं दुनिया भर में कुछ ऐसे जगह हैं जो दूसरे की तुलना में भूकंप के प्रति अधिक सवेंदनशील और कस्बों, समुदायों और शहरी केंद्रों को इन भूकंपों से अपने और अपने निवासियों की रक्षा करने की आवश्यकता हैं ऐसा करना तभी संभव है जब हम भू सरचनात्मक इंजीनियर की मदद से भूकंप प्रतिरोधी इमारतों का निर्माण करना है
पटना , दिल्ली , मुंबई जैसे बहुत से भूकंपीय जगह के इमारतें का निर्माण भूकंप के तेज झटके नही झेल सकते है भूकंप का थोड़ा भी तेज झटका पूरे शहर में तबाही ला देता है इमारतें गिरने लगते हैं इसके पीछे रीजन है की पुरानी इमारतों का निर्माण भूकंपरोधी तरीको से नही हुवा है सिंपल सा उदाहरण नेपाल में भूकंप से तबाही के बाद शहर ने करीब से डर महसूस किया है ।
भूकंपरोधी इमारतो के एक्सपर्ट के अनुसार हमे हमेशा भूकंपरोधी घर बनाना चाहिए इसमें सामान्य घर बनाने के लागत का 5 से 10 फीसदी अधिक खर्च होता हैं आमतौर पर ज्यादतर लोग सोचते है की भूकंपरोधी मकान बनाने में बहुत खर्च होगा पर आपका ऐसा सोचना मनका भ्रम हैं भूकंप सुरक्षा केंद्र के विशेषज्ञ के अनुसार कूल लागतका 5 से 10 फीसदी अधिक लगता हैं इसलिए शहरों में , कस्बों में अभी भी बहुत निर्माण कार्य हो रहे है इन्हे अब सतर्क होना चाहिए और भूकंपरोधी मकान का निर्माण करना चाहिए ।
● छत ढलाई के बाद कितने दिनों तक तराई करना चाहिए
● छत की मोटाई कितनी होनी चाहिए (Roof slab thickness)
● 1200 स्क्वायर फीट छत में कितना सरिया लगेगा
किसी भवन की भूकंप सहने की क्षमता उस भवन की संरचना, डिजाइन, सामग्री और निर्माण प्रक्रियों दोनो पर निर्भर करती हैं इंजीनियरों, वास्तुकारों और वैज्ञानिकों द्वारा भूकंप की आशंका वालो क्षेत्रों में निर्माण के लिए सर्वोत्तम डिजाइन , सामग्रियों और आधुनिक बिल्डिंग कोड की विशेष ध्यान दिए गया है।
इस आर्टिकल का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है की भूकंप रोधी मकान कैसे बनाए, क्या एक मकान भूकंप प्रतिरोधी बनाता है? भूकंप रोधी मकान के लिए रेट्रो फिटिंग तकनीक के जरिए बनता है जिसमे आधुनिक बिल्डिंग कोड का उपयोग, विशेषकर त्रिकोण संरचना का निर्माण सॉयल टेस्टिंग रिपोर्ट , कॉलम में सरिया न्यूतम 12 mm thickness का स्टील, नींव 900 mm x900 mm, लेंटेल बीम में डोर एंड विंडो के ऊपर कम से कम 12 mm का स्टील, पुटिंग में कम से कम 10,12 mm स्टील का उपयोग भूकंपरोधी तकनीक का उपयोग किया जाता हैं।
भूकंप रोधी मकान कैसे बनाए | भूकंप रोधी मकान कैसे बनते है।
भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए लोड बियरिंग स्ट्रक्चर के बजाय फ्रेम स्ट्रक्चर बनाए जाते हैं, जिनसे पूरी बिल्डिंग कॉलम पर खड़ी हो जाती है। कॉलम को जमीन के नीचे दो-ढाई मीटर तक लगाया जाता है। कॉलम में सरिया न्यूनतम 12 मिमी मोटाई का। पुटिंग में कम-से-कम 10.12 मिमी मोटाई वाले स्टील का प्रयोग करें।
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घर बनाते समय भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल कैसे किया जाता हैं? घर बनाते समय निमानलीखित बातों का विशेष ध्यान रखें जिससे भूकंप के समय इमारतें को सुरक्षित रखते हैं
1) मकान को बनाने से पहले उस जगह का सॉइल टेस्टिंग रिपोर्ट तैयार कर लीजिए यह रिपोर्ट आइडिया देता है की उस जगह की मिट्टी में बिल्डिंग का कितना वजन सहन करने की क्षमता है इसी के आधार पर मकान के मंजिलों की संख्या तय होगी। मकान का नक्शा किसी योग्य आर्किटेक्चर से सरचनात्मक नक्शा डिटेल के साथ बनवाए
2) मकान की संरचना त्रिभुज आकर का रखिए ये विशेष रूप से मजबूत आकार का होता है।
3) भूकंपरोधी मकान के लिए लोड बियरिंग स्ट्रक्चर के जगह फ्रेम स्ट्रक्चर बनाए जाते हैं जिनसे पूरी बिल्डिंग कॉलम पर खड़ी हो जाती है कॉलम को जमीन के नीव 2 से2.5 मीटर तक रखा जाता है।
4) मकान की नींव आरसीसी की बनवाए जिससे मकान को अतरिक्त मजबूती प्राप्त होती है।
5) विशेष ध्यान रखे की बीम कॉलम और बुनियादी सभी आपस में एक दूसरे से ज्वाइंट हो।
6) फुटिंग, बीम, कॉलम का साइज, स्टील का डाइमेंशन, स्टील का प्रकार ब्रांड नेम सभी आर्किटेक्ट द्वारा बताए गए डिटेल्स का उपयोग करे।
7) छत की ढलाई के लिए डबल जाल का उपयोग नहीं करे आर्किटेक्ट के सलाह के अनुसार टू वे स्लैब और वन वे स्लैब का उपयोग करें।
8) मकान बनवाते समय जंग लगे हुए सरिया का उपयोग नहीं करें और जरूरत के अनुसार ही सरिया का उपयोग करे।
9) सरिया का जाल बांधने के लिए सही तरीका का उपयोग करे छज्जा, बीम और स्टेयर में विशेष ध्यान रखे इसमें स्ट्रीपस सरिया का विशेष ध्यान रखिए खासकर स्ट्रीपस का हुक लेंथ एंड बॉन्डिंग। सेंटर टू सेंटर डिस्टेंस आर्किटेक्ट के अनुसार ही उपयोग करे।
10) आधुनिक बिल्डिंग कोड का अनुश्रवण कीजिए।
छत की ढलाई कभी भी टुकड़ों में न करें। पूरी छत एक साथ ढलवाने से मजबूती मिलती है।
11) कंक्रीट का सही मिश्रण ,सभी सामग्री उचित मात्रा में मिलवाए और सही ढंग से मिश्रित करने के बाद ही कंक्रीट का यूज करें।
12) विशेष ध्यान रखे की कंक्रीट और दीवारों की तराई पर्याप्त दिन के अनुसार दिन में कम से कम तीन बार करना चाहिए । कंक्रीट की तराई मिनिमम 14 दिन और मैक्सिमम 28 दिन कीजिए।